राज ठाकरे को पुलिस ने पकड़ा, किसके कहने पर सरकार के कहने पर। सरकार ने पहल करके ये बताना चाहा कि बहुत हो चुका अब इस बड़बोले शख्स को जेल की हवा खिलानी ही होगी। कानून ने एक तरफ तो न्याय का चाबुक चलाया और दूसरी तरफ चाबुक शरीर पर लगने से पहले ही पकड़ भी लिया। वहीं दूसरी तरफ कानून की वो देवी जो कि आंखों पर पट्टी बांधे रखती है वो फिर किसी तरह से जागी और फिर चाबुक चमड़ी उधेड़ने के लिए उठा लेकिन शरीर पर पड़ने से पहले ही चाबुक पकड़ लिया। हिम्मत के आगे कानून जीता, हिम्मत हारी।
ये कोई पहेली नहीं है ये है कल्याण कोर्ट की कहानी। राज ठाकरे के खिलाफ सरकार ने जो प्लान बनाया था वो काफी अच्छा था। पर सरकार भी ये जानती थी कि यदि इस शख्स को लोगों तक पहुंचने दिया तो ये राज्य सरकार के लिए ठीक नहीं होगा। तो खेल खेला गया। एक ऐसा खेल जिससे दिखाने के लिए काम भी हो जाए और राज ठाकरे भी पिटने से भी बच जाए।
सरकार को राज ठाकरे ने रत्नागिरी में चैलेंज किया था कि अगर हिम्मत है तो पकड़ के दिखाओ और फिर देखना कि महाराष्ट्र कैसे जलता है। राज्य सरकार काफी दिनों से ये धमकियां सुन रही थी। और इस बार तो दबाव भी केंद्र से बन गया था(सीएम देशमुख ने कहा कि राज्य सरकार पर कोई दबाव नहीं था, वहीं शिवराज पाटील ने कहा है कि गृहमंत्रालय ने चिट्ठी लिखी थी और फोन पर खुद उन्होंने बात की थी। सच्चा कौन?)।
तभी राज्य सरकार को पता चला, राज ठाकरे के खिलाफ जारी हो चुका है एक गैर जमानती वारंट। राज्य सरकार तुरंत हरकत में आगई। यदि जमशेदपुर पुलिस राज ठाकरे को अपने साथ ले गई तो फिर राज्य में राजनीति कौन करेगा। कौन मारेगा-पीटेगा उत्तर भारतीयों को, जिनकी तादाद मुंबई-ठाणे में ज्यादा हैं। पता नहीं कहीं जमशेदपुर ले जाते हुए कोई भी सुरक्षा में चूक होगई और राज ठाकरे को बिहारियों के साथ झारखंडियों ने मिलकर पीट दिया या फिर कुछ ऊंच-नीच हो गई तो फिर अलगाव को नहीं रोका जा सकेगा। राज्य सरकार ने घोड़े दौड़ाए और ३००-३५० किलोमीटर दूर बैठे राज ठाकरे को रात के २.३० बजे के करीब गिरफ्तार कर लिया गया।
खबर फैली हर जगह उत्पात होना ही था और हुआ भी। लेकिन इस बार सिर्फ महाराष्ट्र में ही उत्पात नहीं हुआ। इस चिंगारी की आग पटना तक गई। वहां पर स्टेशन पर तोड़फोड़ की गई। बहरहाल ये बात बाद में।
कोर्ट में राज की पेशी होती है। सुरक्षा कारणों से देरी होती है और फिर बांद्रा कोर्ट से राज को जमानत मिल जाती है। पर राज्य सरकार ने पूरा इंतजाम कर रखा था। अब बारी थी कल्याण कोर्ट की। कल्याण कोर्ट में एक दूसरे मामले में राज को पेश किया जाना था पर देरी की वजह से एक पूरी रात मानपाड़ा थाने की हवालात में काटनी पड़ती है राज ठाकरे को। हर पुलिसकर्मी जेल में बैठे उस ढ़ोंगी के वक्तव्य सुनता रहता है और जी हुजूरी करता रहता है। रात कट जाती है फिर सुबह पेश किया जाता है पर अदालत में खड़ी उस देवी के आंखें में पट्टी है साथ ही वो पट्टी कान के ऊपर से निकलती है इसलिए ना वो किसी का दर्द सुन सकती है और ना देख सकती है। अदालत ने अपना काम किया इतना तेज चाबुक मारा, कि दीवाली भी जेल में काटने का इंतजाम कर दिया, ५ नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। फिर शरीर पर लगने से पहले ही पकड़ भी लिया, कोर्ट ने सिर्फ १५००० के निजी मुचलके पर जमानत भी दे दी। साथ ही देखा कि रेलवे पुलिस खड़ी है राज ठाकरे को पकड़ कर लेजाने के लिए और इतनी देर हो चुकी है कि वकील चाहे कुछ भी करें तब भी रात तो हवालात में काटनी ही होगी। और राज ठाकरे कमजोर भी दिख रहे हैं। तुरंत २४ तक हर मामले में अदालत ने राज ठाकरे को अंतरिम राहत दे दी। यानि की अब जब भी कार्रवाई होगी वो होगी २५ को याने कि जमशेदपुर कोर्ट से जारी वारंट का इलाज मिल गया। और शनिवार को कोर्ट में इस याचिका के खिलाफ पहले ही अर्जी डाली जा चुकी है। तो राज ठाकरे राज्य सरकार की राजनीति की वजह से राजशाही ठाठबाट पाते रहेंगे।
राजनीति इसे ही कहते हैं मेरे दोस्त। राज्य सरकार ने अपना उल्लू भी सीधा कर दिया और साथ ही राज की मुश्किल भी हल कर दी। वर्ना यदि राज ठाकरे को महाराष्ट्र छोड़कर जाना पड़ता तो क्या होता राज ठाकरे का इसका अनुमान सब लगा सकते हैं।
आपका अपना
नीतीश राज
"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
Thursday, October 23, 2008
राज्य सरकार ने राज ठाकरे को पिटने से बचाने के लिए खेला ये खेल
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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”
Sahi kah rahe hain aap. yah sab sochi samjhi ranneeti ke tahat hua. congress ne janboojhkar raj thakre ko bhindrawale ki tarah sah dee. ek na ek din vah bhasmasur ho jayega. pahle badhava dena, shiv sena ke samne raj thakre ko vote katne ke liye khada karna aur jab delhi se nirdesh aaye tab giraftari ka natak karna, yah sab desh ki janta ki aankhon men dhool jhonkna hai. kul milakar yah sab desh ke hit men nahi hai. jo nirdosh log huddang men mar gaye unke pariwar ki peeda ko koun samjhega.Bure kam ka bura nateeza. aakhi bakre ki maa kab tak khair manayegi? raj thakre ko unke kiye ki saja to milegi.logon ki bad-duayen asar dikhayengi.
ReplyDeleteyhee to rajneeti hai..."
ReplyDeleteRegards
बिल्कुल सही कहा.. पूर्णतया सहमत हू आपसे..
ReplyDeleteबहुत सत्य और कटु सत्य कहा आपने ! बधाई !
ReplyDeleteमेरा अब भी ये मानना है की सरकार आम वोटरों को इतना मूर्ख समझ कर भयभीत हो रही है की कडा कदम उठाने में हिचक रही है .जबकि शायद एक आम महाराष्ट्रियन की सोच ऐसी न हो ..राजनीति भी अब देश से ऊपर है.....अगर राज के ख़िलाफ़ कड़े कदम न उठाये गये तो इसके दूरगामी परिणाम खतरनाक होगे ...उन्होंने कई लोगो की दीवाली ख़राब कर दी..कितने गरीब लोगो की टैक्सी तोड़ दी .दुकाने तोड़ दी...पर उनकी दीवाली मन गयी .... कानून सबके लिए एक सा नही है...ये आज इक्कीसवी शताब्दी में भी सच है
ReplyDeleteराजनीति बड़ी मारक ची़ज हो जाति है अगर उसमें स्वार्थ जुड़ जाता है।
ReplyDeleteमाफ करें, जाति को जाती पढे।
ReplyDeleteगीता-ओ-कुरान जला दो, बाइबल का करो प्रतिवाद,
ReplyDeleteआओ मिल कर लिखें हम एक महाराष्ट्रवाद.
बहुत ही सही ओर सटीक लेख लिखा है आप ने, यह कग्रेसं कब तक दल दल मे से वोट ढुढती रहेगी, श्रीकांत पाराशर जी का कहना सही है, यह काग्रेसं फ़िर से इंदरा वाला खेल खेल रही है.
ReplyDeleteलेकिन अगर भारत को लोग अगर अब दिमाग से काम ले तो राज के साथ साथ इस कांग्रेस का भी सफ़ाया कर दे, इस बार, लेकिन कभी भी भावुक ना बने , अब पाकिस्तान का हाल देख लो वहां पर जनता ने भावना मै आ कर भुट्टो को जीता दिया, ओर जो कल तक .... आज सरताज बना है.... क्या होगा अब उस देश का, हमे शिक्षा लेनी चाहिये.