Friday, October 31, 2008

राज ठाकरे, तुम्हारे कारण ही तो पैदा हुए हैं राहुल राज जैसे हमलावर

मुंबई में जब सभी की निगाहें अटकी पड़ी थी कि शुक्रवार के काले दिन के बाद बाजार किस करवट बैठेगा तब मुंबई की एक बेस्ट बस में 23 साल का एक युवक चढ़ा और चंद मिनटों में सारी बस पर हावी हो गया। क्या सोच कर आया था वो युवक राहुल राज, क्या चाहता था वो, किसी को तब तक पता नहीं चल पा रहा था। आवाज और भाषा से लग रहा था कि वो मराठी नहीं है, और उसके हाथ में हथियार लहरा रहा था। बेस्ट की डबल डेकर बस में वो बार-बार चिल्ला रहा था कि उसे राज ठाकरे से मिलना है। कोई उस की बात पुलिस और मीडिया से कराए। बार-बार सिर्फ एक ही बात कि उसे राज ठाकरे से मिलवाओ, फोन पर पुलिस और मीडिया से बात कराओ। बताया जाता है वो राज ठाकरे के खिलाफ नारे भी लगा रहा था।

राहुल राज एक अनाड़ी हमलावर

राहुल राज ने सभी को ये बताया कि वो किसी को कोईं भी हानि नहीं पहुंचाएगा। कंडेक्टर को उसने पकड़ा कि मोबाइल से पुलिस और राज ठाकरे से बात कराओ। युवक बेचैनी में कभी इधर तो कभी उधर जा रहा था। बस के सारे यात्री डर और सहम चुके थे। फिर बाद में उसने अधिकतर यात्रियों को बस से जाने दिया। इस बीच कंडेक्टर ने पुलिस को सूचित किया। करीब 50 मीटर दूर पर ही था थाना, पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच गई। पुलिस के सामने उसने 10 और 50 के नोट पर लिख कर संदेश दिया कि वो राज ठाकरे से मिलना चाहता है। कई जगह ये बात भी सामने आई कि उस पर लिखा था कि वो पटना से आया है राज ठाकरे को मारने लेकिन इस की असलियत क्या है किसी को पता नहीं चल पाई है, पर हां, वो राज ठाकरे से मिलना जरूर चाहता था। पुलिस अपने काम पर लग चुकी थी। पुलिस ने पूरी बस को घेर लिया और जब राहुल बस के अगले हिस्से में जाता तो पुलिस पीछे से चढ़ने की कोशिश करती और जब वो पीछे आता तो आगे से चढ़ती। राहुल राज दूसरी स्टोरी पर चला गया। इस बीच उसने पुलिस को डराने के लिए और ये दिखाने के लिए की उसके पास असली हथियार है उसने जमीन पर एक फायर किया। जब तक राहुल बस के ऊपरी हिस्से तक पहुंचता तब तक पुलिस ने हवा में दो फायर किए। जवाब में राहुल ने भी दो फायर हवा में किए। पुलिस बस के अंदर घुस चुकी थी लेकिन तभी हड़बड़ाए राहुल से एक गोली चली जो कि एक यात्री के पैर में लग गई। पुलिस ने फायर खोल दिया। राहुल को तीन गोली लगी और पुलिस का ये अभियान खत्म हुआ। बेस्ट की एक बस को अगवा करने की कोशिश को नाकाम कर दिया गया।

पुलिस की अपनी थ्यौरी

पूरे मामले में महाराष्ट्र पुलिस की पीठ ठोंकी गई और साथ ही पूरे मामले पर सियासत भी शुरू होगई। पुलिस ने अपने काम को सराहया और अपने कदम को सही भी ठहराया। पुलिस का कहना था कि यदि किसी भी कारण से उस शख्स की बंदूक से निकली गोली किसी भी यात्री को मार डालती तो पूरी दुनिया एक सुर में ये इल्जाम लगाती कि पुलिस को पहले ही उस शख्स को गोली मार देनी चाहिए थी। तो यदि पुलिस कुछ सही भी करती है तो भी उस पर इल्जाम लग जाता है। वैसे, पुलिस को आतंकवाद से लड़ने के लिए महाराष्ट्र में ये हिदायत है कि यदि कोई भी बंदुक से जवाब दे तो पुलिस भी फिर गोली का जवाब गोली से दे सकती है, और ये ही काम पुलिस ने भी किया। किसी के चेहरे पर ये नहीं लिखा है कि वो आतंकवादी नहीं है।

दो मंत्रियों की सोच में अंतर

वहीं महाराष्ट्र के गृहमंत्री का मानना है कि पुलिस ने जो भी किया वो ठीक है। जो भी नियम और कानून तोड़ेगा उसको हम ऐसे ही सबक सिखाएंगे। पर राज ठाकरे और एमएनएस के मामले में शायद वो ये सब भूल जाते हैं। राज ठाकरे ने पाबंदी के बावजूद मीडिया में अपनी सुरक्षा को कम किए जाने पर इंटरव्यू दिया है। वहीं, इस घटना के बाद सरकार ने राज ठाकरे को जेड श्रेणी की सिक्योरिटी वापस दे दी है। पर क्या महाराष्ट्र के ये बड़बोले गृहमंत्री और उप मुख्यमंत्री राज ठाकरे की जमानत रद्द करवाएंगे, या फिर कुछ भी कार्रवाई होगी। शायद नहीं। वहीं दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री का कहना है कि यदि पुलिस चाहती तो राहुल राज को पकड़ा जा सकता था। लेकिन ये मुंबई पुलिस की नाकामी है कि वो ऐसा करने में नाकाम रही और राहुल को मार गिराया। ये बातें दो मंत्रियों ने कहीं हैं और दोनों ही ऊंचे पद पर आसीन हैं। तो क्या कारण है कि दो मंत्रियों की राय एक नहीं हो पा रही है?

एनकाउंटर पर सियासत

राहुल राज के एनकाउंटर पर राजनीति भी गरमा गई, सब सियासत चमकाने लगे। एक के बाद एक दल ने राज्य सरकार पर साधा निशाना। सभी एक सुर में राज ठाकरे और उसकी पार्टी पर पाबंदी लगाने की मांग करने लगे। राज्य सरकार पर भी इसी बहाने निशाना साधा गया। अब तो शिवसेना को भी लगने लगा कि आखिर मुंबई में ये क्या हो रहा है। इस प्रकरण के बाद से शिवसेना बैकफुट पर दिखी। दो दिन तक राहुल राज के घर पर आने जाने वाले नेताओं का जमघट लगा रहा। कभी सीबीआई से जांच की मांग की जाती तो कोई जांच आयोग गठित करने की मांग करता। राहुल राज के घर के बाहर दिन भर लोगों को तांता लगा रहा, वहां नारेबाजी चलती रही। इसी बहाने अमर सिंह अमिताभ और राज ठाकरे का मसला फिर से उछालने से बाज नहीं आए। अमर सिंह ने लालू यादव और पासवान पर निशाना साधा। कुछ नेताओं ने राष्ट्रपति शासन की मांग भी कर दी महाराष्ट्र में।

एनकाउंटर या हत्या?

राहुल राज का एनकाउंटर हुआ है या हत्या? इस बारे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। गर पुलिस चाहती तो उस नौसिखिए हमलावर को थोड़ी देर में ही पकड़ भी सकती थी। लेकिन शायद पुलिस ने ये कोशिश नहीं की। 15 मिनट के इस ड्रामे में क्या पुलिस को कोई भी मौका नहीं मिला कि वो राहुल के पिस्तौल वाले हाथ पर निशाना लगा सकें। क्या पुलिस उस के पैरों पर गोली नहीं चला सकती थी। क्या जरूरत पड़ी थी कि उसके शरीर पर एक साथ तीन गोलियां मारने की, क्या एक गोली से काम नहीं चल सकता था। उसके दोनों हाथ पर गोली मारी जा सकती थी। या पुलिस बिहारी या उत्तर भारतियों से इतना ज्यादा कुपित होगई है कि इस एपिसोड को खत्म करने के लिए उसने एक नौजवान की गोली मारकर हत्या कर दी। क्यों नहीं ये ही रणनीति ये आतंकवादी या किसी डॉन के साथ करते।

चिता जली पर सवाल बाकी

इस से दुखद पहलु क्या हो सकता है कि एक जवान बेटे का शव बाप के कंधे पर शमशान जा रहा हो। जिस दिन पूरे देश में दीए जलाकर रोशनी की जा रही थी उस दिन राहुल की चिता जली और उस बाप के ऊपर क्या बीती होगी जब दीवाली के रोज उसने अपने जवान बेटे की चिता को मुखाग्नि दी होगी। चिता तो जल गई है पर सवाल अभी बाकी हैं। मुंह बाए खड़े हैं कुछ सवाल जिनके जवाब कुछ तो राहुल की चिता के साथ जल गए और कुछ उस चिता की चिंगारियों से उठ खड़े हुए हैं।

आपका अपना
नीतीश राज

5 comments:

  1. जो भी हुवा ग़लत हुवा पुलिस को सयम बरतना चाहिय था जब सारी सवारियों को राहुल ने जाने दिया तो नुकसान होने वाली तो कोई बात ही नही थी थोड़ा समय लगता लेकिन उसे मारे बिना पकड़ा जा सकता था |

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  2. बहुत मुश्किल है ! जाहिर है पुलिस के अपने तर्क होंगे और हम लोगो के अपने तर्क ! आपने बहुत सुंदर भाषा में इस पुरे घटना क्रम की साफ़गोई से जानकारी दी उसके लिए धन्यवाद !

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  3. ऐसे तनाव भरे माहौल में पिस्तोल लेकर घुमना विपत्ति को आमत्रण देने जैसा है.. राहुल नादान था..

    पता नहीं कौन सही कौन गलत..

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  4. Ratan Singhj ki tippani sahi lagti hai. Jo kuchh hua, theek nahi hua. Vah koi atankwadi to nahi tha. Rahul raj ke man men Raj Thakre ke prati gussa hoga. Jo halat paida hue usse aisa gussa ho sakta hai. Vah hathiyaar lekar is tarah se bartav kar raha tha yah bhi galat hi hai parantu agar sach men vah kisi ko nuksan pahuchana chahta to aisi harkat nahin karta. uski nadani saf jhalkti hai. police ne bevkoofi bhara kadam uthaya. vah chahti to use jinda pakad sakti thi.

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  5. अभी पता नही कितने राहूल पेदा होगे इस भारत मै, अगर हालात यही रहै तो, बहुत गलत हुआ, अगर पुलिस चाहती तो उसे पकड भी सकती थी,आप ने पुरी ओर सही जान कारी दि धन्यवाद

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”