Monday, October 27, 2008

वेतन तो पूर्णमासी का चांद और 'बोनस' अमावस्या में निकला चांद-अंतिम

यारों, एक-दो फरमाइशें हो तो कुछ पूरी भी हों परंतु ये क्या जो प्रेम-पत्र रूपी फरमाइशों का पूरा चिट्ठा ही थमा दिया गया है, लगता है कि अगली दीवाली तक पूरा हो ही जाएगा। और इस चिट्ठे की फरमाइशों को पूरा करने के लिए तो हर महीने बोनस मिलना चाहिए। हमारी इकलौती पत्नी जी के आदेशानुसार ये प्रेम-पत्र सिर्फ इसी दीवाली तक सीमित है। हमने जेट-किंगफिशर का हवाला दिया, साथ ही अमेरिका के एक के बाद एक हो रहे १६वें बैंक के दीवालियापन का भी वास्ता दिया। पर ये आदेश हमारी बेगम का है, पूरा तो करना ही होगा। बेगम को याद दिलाया कि इस महीने चार बच्चों का जन्मदिन भी पड़ चुका है। साथ ही तुम्हारे भाई(जो कि दूर वाले नाना के मोसेरे भाई के बेटे की बहन का लड़का है) की भी शादी, कुछ तो रहम करो। वैसे ही बजट का बंटा धार हो चुका है।
महंगाई ने तो पहले ही मार रखा है और साले की शादी ने हाल ऐसा कर दिया कि करेला वो भी नीम चढ़ा। साले साहब से पूछा था कि एक ही महीने में सगाई और शादी क्यों कर रहे हो। थोड़े दिन और जी लो, कुछ और मस्ती कर लो, कहीं और घूम लो वर्ना शादी के बाद तो सिर्फ याद रह जाएगी हर महीने की १ तारीख। सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे कारण दूसरों के घर के बजट की वॉट लग जाती है। दूसरे के घर के वित्तिय स्थिती पर भी निगाह डालो, वो तो पाकिस्तान की तरह दीवालिया होने की कगार पर खड़ा है और एक तुम हो जो कि सगाई और शादी एक ही महीने में रचाने चले हो। शादी कर लो फिर तुम भी कहीं पर कुछ यूं ही बोनस के बारे में तड़पते नज़र आओगे।
साले साहब को समझाने की कोशिश करूंगा कि यार देखो बे-हय्या(भै-य्या) तुम को कुछ दिन और ऐश करनी चाहिए, यार मेरी सलाह मानो और कुछ मेरा भी ख्याल करो। सगाई इस बोनस में निपटा दो और फिर ऐश करो और फिर ऐसा भी नहीं है कि बोनस की प्रक्रिया ख़त्म थोड़ी ही हो जाएगी, अगले बोनस में तुम्हारे हाथ पीले करवा देंगे। तब तक ऐश करो। लेकिन वो भी तो अपनी बहन पर ही गया होगा समझाओ कुछ और समझेगा कुछ। साला...। वो भी कहां मानने वाला है करेगा वो ही जो उसकी बहन कहेगी। कटेगी तो मेरी ही जेब।
श्रीमति जी का कहना कम आदेश ज्यादा हो चुका है, सगाई और शादी में एक ही तरह की बनारसी साड़ी नहीं पहनूगी और साथ में गले की रौनक भी अलग होनी चाहिए और ना जाने कितनी रस्में होती हैं, आखिर लड़के की बड़ी बहन हूं। मेरे पास साड़ियां हैं ही कहां, ‘सच में’। ऐसे सुरीले सच पर कौन ना मर जाए। सोचता हूं कि उठकर उनकों उनकी अलमारी और दो ट्रंक का नजारा करवा दूं। याद दिला दूं कि जब भी मायके से आती हैं तभी साड़ियों का भंडार साथ होता है। पर मैं घर की शांति बनाए रखना चाहता हूं। वैसे भी गृहमंत्री को रुष्ट किया तो गद्दी कभी भी छिन सकती है।
सोचा था इस बार अपना वो चश्मा बनवाऊंगा जो कि पिछले महीने में महंगाई के भूत और साथ में पेट्रोल, गैस आदि के रेट बढ़ने की कवायद के चलते पूर्व कल्पना से इस महीने की आवभगत में निकल गया। परंतु इस बोनस की मृतसइय्या पहले ही बन चुकी है। यह तो अब अगले महीने दो पहिया वाहन को छोड़कर बसों में धक्के खाकर, बचत के माध्यम से ही पूरा हो सकता है।
अब समझ में आता है हमारे पांडे जी, जो कि हमसे उम्र में काफी सीढ़ियां आगे जा चुके हैं दो बातें कहते हैं। पहली, आमदनी बढ़ने से खर्चों की जगह अपने आप बन जाती है। दूसरी, जो बात बताने जा रहा हूं वो उनके दिल से निकलती है, कि शादी के बाद आदमी भौं-भौं रूपी जानवर हो जाता है। यह बात सिर्फ और सिर्फ शादीशुदा आदमी ही समझ सकता है और कोई इस खाए हुए लड्डू की कल्पना भी नहीं कर सकता। और जिसे बोनस ना मिलता हो तो वो फिर कल्पना कर ही नहीं सकता।

आपका अपना
नीतीश राज



(सभी को दीवाली की शुभकामना)

7 comments:

  1. ये भी बहुत सही रहा..इसी का इन्तजार लगा था कल से.

    आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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  2. भाई, यहाँ न वेतन है न बोनस। बस मुवक्किल का इंतजार है।

    दीपावली पर हार्दिक शुभ कामनाएँ।
    यह दीपावली आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए।

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  3. दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

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  4. मजेदार प्रसंग रहा। आपको, आपके परि‍वार को मेरी तरफ से दीपावली की हार्दि‍क बधाई।

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  5. वाह, और पोस्टों से बहुत अलग पोस्ट।
    दीपावली और बोनस मुबारक!

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  6. आपको तथा आपके परिवार को दीपोत्सव की ढ़ेरों शुभकामनाएं। सब जने सुखी, स्वस्थ, प्रसन्न रहें। यही मंगलकामना है।

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  7. परिवार व इष्ट मित्रो सहित आपको दीपावली की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !
    पिछले समय जाने अनजाने आपको कोई कष्ट पहुंचाया हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ !

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”