Monday, July 7, 2008

सबसे ख़तरनाक होता है...

(चे ग्वेरा)
सबसे ख़तरनाक होता है,
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का
सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर
घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना।।
-अवतार सिंह पाश

4 comments:

  1. आभार पाश की इस रचना को पढ़वाने का.

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  2. चलिए आप ने इस को पढ़ा, ये कविता मुझे बचपन से ही प्रिय है, ये तो उस कविता का अंश मात्र है। शायद कभी मौका लगा तो जरूर से पूरी आप लोगों के सामने पेश करूंगा।

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  3. complete poetry of paash is available at my blog http://paash.wordpress.com

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”