Tuesday, July 15, 2008

तेरा एक पल...

तेरा पास होना ही काफी है
मेरे चमन को महकाने के लिए,
तेरी एक बात ही काफी है
मुझे तेरा बनाने के लिए।

तेरे ख्याल में जी रहा हूं इस कदर,
तेरी याद ही काफी है अपनाने के लिए।
तेरी नराजगी ही काफी है,
मुझे तड़पाने के लिए।
तेरी उखड़ी हुई एक बात ही काफी है,
मुझे अंदर से हिलाने के लिए।
तेरी आंख से छलकता एक आंसू,
काफी है मुझे रुलाने के लिए।

तेरी एक मुस्कुराहट ही काफी है,
मेरे दिन को बनाने के लिए।
इसी उम्मीद पर जी रहा हूं,
तेरी जिन्दगी का,
एक पल काफी है
मुझे, मुझसे मिलाने के लिए।।
आपका अपना,
नीतीश राज

4 comments:

  1. मनोभावों को बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया।

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  2. bhut badhiya. likhate rhe. sundar bhav ke sath sundar rachana.

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”