Monday, July 7, 2008

‘MIND IT, MR. DHONI’



क्या हुआ धोनी जी, फिर फाइनल फिसल गया? कोई कटाक्ष नहीं कर रहा हूं मैं आप पर। लेकिन ये क्या बत्ती क्यों बुझ गई फाइनल में? इस मैच को खेलते हुए सोचा भी था कि ऐसा होगा, हार हाथ लगेगी। जिस विपक्षी टीम के 12 ओवर में 4 खिलाड़ी सर झुकाए वापस पवेलियन लौट गए हों, वो १०० रन से हरा देगी। उनके खिलाड़ी आउट होने पर आप बहुत खुश थे। चेहरे से साफ झलक रहा था कि मन ही मन आप कह रहे हों कि भई इस फाइनल में तो बत्ती गुल नहीं हो पाएगी लेकिन अफसोस, गलत जवाब, बत्ती गुल होगई। सोचा होगा चलो कि जीत गए तो भी अच्छा, नहीं जीते तो भी। तब भी आप मन्द-मन्द मुस्कुरा रहे थे जब मुल्तान के सुल्तान सहवाग (जो पाकिस्तान में करिशमा ही दिखा देते हैं) बल्ले से आग बरसा रहे थे। मैंने ऊपरनहीं जीते तो भीइस लिए लिखा क्योंकि नहीं जीतने पर सारा ठीकराज्यादा खेल, कम आरामपर फोड़ने वाले हैं? लेकिन जो भी हो, यहां भी आप की टीम फाइनल तक पहुंची ये काबिलेतारीफ है।
धोनी, लेकिन अब ये वक्त आगया है कि आप सोचें कि गलती कहां है? सीरीज के सभी मैच अच्छे खेले जाते हैं. फिर फाइनल को क्यों इतना हौवा मानकर खिलाड़ी, अपना बेहतरीन नहीं दे पा रहे हैं। या आप को अपनी सोच में कुछ परिवर्तन लाना होगा। क्या कारण है, भारत को गेंद और बल्ले दोनों से इतना अच्छा स्टार्ट मिला लेकिन हम उसे कैश नहीं कर पाए। हमने शुरुआत में गेंद से कमाल दिखाया। १२ ओवर में ही खिलाड़ियों का पत्ता काट दिया और वो भी मात्र ६६ के स्कोर पर। माना कि डेंजर मैन तब भी क्रीज पर था। वो पूरे मैच का रुख बदलने के लिए अकेला ही काफी है और शायद ये ही हुआ भी। पर हमें ये याद रखना होगा कि सनथ का कैच ५६ रन के स्कोर पर आरपी सिंह ने छोड़ दिया था, जो कि बहुत महंगा पड़ गया। पांचवें विकेट के बीच १३१ रन की साझेदारी हुई। डेंजर मैन अपना काम करके जा चुका था। फिर भी २७३ का लक्ष्य अंतिम के पुछल्लों ने दिया वो काफी होता है। यदि २५० का भी टार्गेट मिलता तो भी दबाव में हम कुछ सोचा सकते थे।
हम सही खेल रहे थे, जहां तक बल्ले का सवाल आता है। ४२ गेंदों पर हमारे ५० रन हो चुके थे। गंभीर की वापसी हो चुकी थी। सहवाग २६ गेंदों पर ५० बना चुके थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि हम १०० रन से हार गए। फाइनल में इस तरह घुटने टेकना अच्छा नहीं लगता। वहीं, यदि दूसरी तरफ देखें ५९ वीं गेंद पर श्रीलंका ने अपने ५० रन पूरे किए थे और उनके दो खिलाड़ी आउट भी हो चुके थे। लेकिन ऐसा क्या हुआ जो मैच हम....
अब जो दूसरी बात समझ आती है, इन हारों से बचने के लिए, घर आकर फाइनल के लिए पूजा पाठ कीजिए। दूसरों के बारे में कुछ भी बोलने से पहले जरा सोचिए। आपका फाइनल का सितारा बुझा हुआ है उसे जलाने के लिए हवन करवाएं। एंड....माइंड इट धोनी......बैटर....माइंड इट।
आपका अपना,
नीतीश राज

2 comments:

  1. It seems that Team India is still suffering from 'Final-Failure'.

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  2. Exactly Som, team india can't handle the pressure of final.Dhoni and management should try to solve this and teach the players pressure tacts. The team india always collapse against the debutant bowler as we already seen in the case of malinga.

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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”