Sunday, October 5, 2008

“अमर सिंह, तुम पागल हो गए हो”

समाजवार्दी पार्टी के महासचिव अमर सिंह को बाटला हाउस के बहाने अपने गढ़ पर लगी चोट सालने लगी है। इसलिए अब वो खुलकर अपने गढ़ के समर्थन में उतर आए हैं। हमेशा ही सुर्खियों में बने रहने की इच्छा के कारण इस बार जो जरिया उन्होंने चुना है वो है बाटला हाउस का L-18। दिल्ली का वो एनकाउंटर जिसमें दो आतंकवादी मारे गए थे और एक अभी पुलिस के कब्जे में है। और बाद में तीन और को भी पकड़ गया। और ये तीनों को इस बात का दुख है कि इस वारदात के बाद इतनी जल्दी वो पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
अमर सिंह अब अपने गढ़ पर साधे गए पुलिसिया निशाने का जवाब, पुलिस पर वार करके चुका रहे हैं। समाजवादी पार्टी के महासचिव हैं अमर सिंह, तो महासचिव चलेगा तो अध्यक्ष की राह पर ही। याद दिलाना चाहूंगा कि कुछ समय पहले इस पार्टी के अध्यक्ष ने सिमी पर पाबंदी का विरोध किया था। तो अब छोटे मियां क्यों नहीं चलेगें राजनीति की चाल। एनकाउंटर के १३-१४ दिन के बाद अब उन्हें जामिया की याद आगई क्योंकि इनके बड़े भईया की सुलह राज ठाकरे और शाहरुख खान दोनों से हो गई है। तो अब राजनीति चमकाने के लिए कुछ तो होना चाहिए ना। तो बढ़ चले यूपी के मुसलमानों के बाद दिल्ली के मुसलमानों के वोट बैंक की तरफ। भई, आखिर कैंद्र में भी तो आने की इच्छा है।
बाटला हाउस पहुंचकर L-18 में हुए एनकाउंटर पर सवाल खड़ा कर दिया और साथ ही मांग की न्यायिक जांच की। साथ ही लगे हाथ केंद्र सरकार को धमकी भी दे डाली कि यदि मुठभेड़ फर्जी हुई तो सरकार के पंजे से मिलाया हाथ वो खींच लेंगे। शायद अमर सिंह ये नहीं जानते कि कांग्रेस सिर्फ करार को करने के लिए इतना सुन भी रही है। जैसे ही करार पर दस्तखत हुए तो समझ लो कि दूध में मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिए जाओगे। हद तो अमर सिंह ने तब कर दी जब मोहनचंद शर्मा की शहादत पर ही सवालिया निशान लगा दिया। दूसरों के जख्मों पर मरहम लगाने के बहाने औरों को जख्म देने का ये अंदाज अपने में ही निराला लगा। जिस शख्स को पूरा देश शहीद मान रहा है उस पर उंगली उठाने की गलती करने के कारण, क्या खुद अमर सिंह को इस देश का ‘गद्दार’ नहीं माना जाना चाहिए। एक तरफ उन आतंकवादियों की वकालत दूसरी तरफ शहीद पर सवालिया निशान।
“यहां जो मास्टरमाइंड पकड़े गए, वो गोल्ड मेडलिस्ट थे, एमबीए के स्टूडेंट थे”।

साथ ही ये भी...
“जो पुलिस का आदमी यहां मारा गया है वो शहादत के लिए भेजा गया था। जब चार-पांच दिन पहले उसका तबादला हो गया था तो वो फिर यहां पर क्यों फिर रहा था। अपना तबादला रोकने के लिए वो यहां पर आया था।”

ये दो बयान हैं अमर सिंह के ,पहले वाले में साफ वो आतंकवादियों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ एक शहीद की शहादत पर सवाल उठा रहे हैं। बिना जानकारी के पुलिस पर वार कर रहे हैं। शायद ये भूल गए कि दो दिन पहले ही सागर में एक मंत्री जब सियासत चमकाने पहुंचे तो पुलिस के इतने डंडे पड़े कि अभी तक आईसीयू में भर्ती हैं। अमर सिंह जी आपको कई उपाधियों से नवाजा जा चुका है। अब आप आतंकवादी भी कहलवाना पसंद करेंगे। सिमी को इंडियन मुजाहिद्दीन और आजमगढ़ को गढ़ आप जैसों ने ही बनाया है।
अधूरी जानकारी के साथ अमर सिंह को कभी बयान नहीं देना चाहिए। दरअसल, एसीपी राजवीर के क़त्ल के बाद से दिल्ली पुलिस ने ये तय किया था कि किसी भी पुलिसवाले को एक जगह पर दस साल से ज्यादा नहीं रखा जाएगा। सितंबर के दूसरे हफ्ते में तबादले के ऑर्डर भी जारी किए गए थे, लेकिन कई अधिकारियों के बारे में ये तय नहीं किया जा सका था, कि कहां जाना है और उसी में से एक थे शहीद मोहन चंद शर्मा भी।
मामला कोर्ट में है तब ऐसे बयान देना कहां तक उचित है? साथ ही आतंकवाद से लड़ रहे उन जवानों पर इन बयानों का क्या असर होगा, ये कभी सोचा है इस बड़बोले समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह ने?वोट बैंक के लिए अमर सिंह इतना गिर जाएंगे ये किसी भी भारतीय ने नहीं सोचा था, पर क्या अभी अमर सिंह का और भी नीचे गर्क में गिरना बाकी है?

आपका अपना
नीतीश राज

27 comments:

  1. कलुषित मानसिकता का परिचय दे रहे है ऐसे नेता और उनके बेतुके बयान।

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  2. अमर सिंग से यह पूछना कि क्या तुम पागल हो गये हो क्या??///

    पागल से ये कैसा प्रश्न??

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  3. ये अवसरवादी नेता है उनकी जबान का क्या, कब क्या बक दे

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  4. bina tathyo ko jane gyan mat banta karo .

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  5. अमर सिंह को गद्दार कहना गद्दारों का अपमान होगा।वो तो उनसे भी गया गुजरा हैं। ना भैय्याजी का है और ना भाभीजी का है।उसका एक साथी और है,अर्जुन सिंह,वो है उसकी टक्कर का।कभी उसकी भी खबर लेना आप्।बहुत बढिया लिखा आपने,लगा है तीर निशाने पर्।

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  6. अमर सिंह जी की हाइट क्या है? लगता है उससे ज्यादा अहमियत मिली है उनको राजनीति में।

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  7. शायद अमरसिंघ से ज्यादा बेतुका आदमी अभी तो राजनीती में नही है ! और देखिये इसी बेतुके आदमी को लेकर आपको पोस्ट लिखनी पड़ रही है और हमें टिपियाना पड़ रहा है ! दुर्भाग्य हमारा और आपका ! और मुझे लगता है यही सुर्खियों में रहने के लिए इनके द्वारा की गई कलाकारी है ! और कुछ राजनीती की मजबूरी की आज कांग्रेस की गल-बहियाँ डली हैं जिन्होंने कभी डिनर पार्टी से इन्हे रुखसत कर दिया था !

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  8. @ anonymous :- महाराज आपको ज्ञान ही लेना है तो ज़रा सामने आकर अपनी बात स्पष्ट करिए ! यहाँ अमरसिंघ से किसी का
    निजी लेन देन बाक़ी नही है ! अगर सार्वजनिक जीवन के यही मूल्य हैं तो फ़िर क्या कहने ? क्या हम यही उम्मीद करे की ये ही हमारे भाग्य विधाता बनेगे ? भले गठजोड़ किसी के साथ भी बने !

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  9. अमर सिंह लतखोर है. भाई उसका नाम लेके मूड ख़राब कर दिया. उत्तर प्रदेश से भगाया गया है. अब उसका कोई ठिकाना नहीं है.

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  10. नीतिश साहब आपको अमर सिंह के पागल होने में संदेह क्यूँ है ? अब क्या उसके गले में सर्टिफिकेट डालना पडेगा ? :)

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  11. char log apne me gal baja ke khush ho javo rajniti kabhi nagar palika ka chunav bhi jo na lade ho voh aisi hi gyan ki bate karta hai.

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  12. अमर सिंह के अपने शब्दों में पिछली बार कांग्रेस ने उन्हें कुत्ते की तरह ट्रीट किया था. आज भी कांग्रेस उन्हें कुत्ते की तरह ही ट्रीट कर रही है. बहुत सारी उम्मीदें लेकर मनमोहन की सरकार बचाई थी. अब मनमोहन और कांग्रेस ने उन्हें लिफ्ट देना बंद कर दिया है. एक अनेतिक हनीमून जल्दी ही समाप्त होने की कगार पर है. अब क्या करें अमर सिंह? चलो वापस फ़िर अपने वोट बेंक की तरफ़. अमर सिंह के इस दोगले बर्ताब पर क्या आश्चर्य करना. वह तो यही करेंगे. कुर्सी उनका मकसद है, उस के लिए देश से गद्दारी भी करनी पड़ी तो करेंगे.

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  13. बेनामी टिप्पणी के महाराज पहली बात तो आप खुद फर्जी एनकाउंटर कर रहे हैं और दूसरी तरफ ताऊ जी ने बात सही कही है यदि कुछ कहना या सुनना है तो बेहतर है सामने आओ बात कहो। यहां तो चार लोग इस बात पर सहमत हैं और यदि वोट डलवालो तो ९० फीसदी इस बात से सहमत होंगे। रही आपकी बात तो बेहतर ये होगा कि आप अमर सिंह ना बनें सामने आएं हैसियत बताएं और बात करें। वरना बेहतर है आपको पढ़ने की भी जरूरत नहीं है मैं गद्दारों के लिए नहीं लिखता हूं।

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  14. सुरेश जी बिल्कुल सही, ये अनैतिक हनीमून है जल्द ही खत्म हो जाएगा। और यदि खत्म नहीं भी हुआ तो भी कांग्रेस इनकी औकात कुत्ते से ज्यादा नहीं मानेगी।

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  15. Nitishji, bilkul theek kaha aapne. amarsingh apne aap ko bhale hi singh is king samjhen parantu congress ki rajniti ki chopad par ve ek mamuli pyade hain.doodh men padi makkhi wali halat unki honi hi hai.Vaise ve pahle bhi congress se apni fajihat karwa chuke hain. votr bank ki rajniti karne walon ki har jagah fajihat honi chahiye, tabhi ek na ek din is desh ki halat sudhregi.

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  16. Nitishji, man nahin bhara mera,isliye phirse likh raha hun. Bhai anil pusadkarji ne unke tatha arjun singh ke liye jyada sateek sabdon ka istemal kiya hai. anya doston ne bhi achha likha hai. yah vyakti bina pende ka muradabadi lota hai aur avval no. ka notankibaj hai.

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  17. @ Anonymous भाई ज्ञान हम नही बघार रहे हैं ! शायद ये कोशीश दबे छुपे आप कर रहे हैं ! हम तो सब अपनी पहचान के साथ मौजूद हैं ! हमारे एक साथी चिठ्ठाकार ने एक बात कही और हम उनसे सहमत हैं तो सहमति जता रहे हैं और कई बार सहमत नही भी होते तो असहमति भी जताते हैं ! पर पहचान तो नही छुपाते !
    ये तो विचारों की सहमति या असहमति का मंच है ! आपको असहमति है तो बिल्कुल होना चाहिए ! आप कायदे से आइये और अपनी बात रखिये ! हो सकता है आप की बात में वजन हो तो आपसे भी सहमति बन सकती है !
    इस तरह से कमेन्ट करने में आपकी बात का वजन नही पडेगा ! और यकीन मानिए किसी को भी मजा नही आयेगा ! और आपकी बात हम सुनना चाहेंगे की इतने सारे टिपणीकारो के विचार के विरुद्ध आपका तर्क क्या है ?

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  18. कांग्रेस मुसलमानों को रिझाने के लिए ७०० करोड़ रूपये का घूस दे रही है तो कुछ नहीं और अमर सिंह ने उनके वोट भेड़ के भाव खरीदने के लिए झूठी गवाही दे दी तो कौन सा 'अपराध' कर दिया?

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  19. @ Anonymous . पर अब Anonymous कमेन्ट पर कम से कम मैं तो ध्यान नही दूंगा सो आप अगर कुछ कायदे की बात चाहते हैं तो अपनी पहचान के साथ आए !

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  20. bhaiya ye rajaniti hai .
    Ek kahavat hai " bane raho pagala or kaam karo agala " ham or aap inhe pagal kah sakate hai par ve apana ulloo seedha kar rahe hai .

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  21. नाम ओर निक नाम तो इतने अच्छे, ओर कर्म जयचंद जेसा, मै तो हैरान हुं ऎसे लोग बार बार केसे जीत कर आ जाते है,ओर हमारे मुसलमान भाई लोगो को भी सोचना चाहिये कि यह उन्हे एसे लोग इस देश का नागरिक सिद्ध करना चाहते है या फ़िर एक......,
    धन्यवाद

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  22. neta hain inka kya, kuch bhi bkwas kar sakte hain.

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  23. IN AMAR SINGH KE JAB GHAR BOMB FUTEGA TAB DEKHEGE KYA KAHTE HAI ?
    KAL KISI SO CALLEED BADE BLOGAAR NE APNE BLOG PE AISE HALAT PESH KIYE JAISE YAHAN TO HALAT BAD SE BADTAR HAI .
    EK BAAT SAMAJH NAHI AATI KI BAATLA KI CHARCHA HOTE HI MUSLIM ISE APNE AGAINST KYU MAN LETE HAI ?
    DOOSRA KOI MUSLIM SHARMA KO SHAHEED KYU NAHI MAANTA HAI ?
    YE JITNE BHI CHAINAL KE PATRKAAR HAI APNE BLOG PE KUCH BOLTE HAI AOR INKA CHAINAL KUCH AOR DIKHAATA HAI ?AGAR ITNE HI IMANDAR HO TO BHAIYYA NAUKRI CHOD DO.
    AMAR SINGH TO AMITABH BACHHAN KE PARIVAR KE SPOKESMAN BANE RAHE TO ACHHA HAI .
    EK AOR BAT DEKHI HAI SARE MUSLIM BLOGAR BHI EK HI BAT KA RONA ROTE HAI KI UDISSA ME YE HUA ,VAHAN YE HUA TO USE KIS NE SAHI KAHA HAI ?
    KYA HAM APNE APRADH KO YE KAHKAR KAM KAREGE KI DOOSRE NE BHI KIYA HAI ?

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  24. isi tarz per modi pagal ho gaya ya advani sathiya gaya likha jaye to jyada comment aayenge.

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  25. सही कहा आपने, इनके बड़े भईया की सुलह राज ठाकरे और शाहरुख खान दोनों से हो गई है। तो अब राजनीति चमकाने के लिए कुछ तो होना चाहिए ना।
    ....बड़का भैया के इस छोटका भैया से यूपी के भाई लोगों ने तो सत्ता की चाबी छीन ली थी। लेकिन किसी ने ऐसे थोड़े ही कहा है, समय बलवान तो गधा पहलवान। छोटका भैया की किस्मत से केंद्र की गाड़ी पंक्चर हो गई और ये बन गए स्टेपनी। अब काफी दिनों से टीवी वालों ने भाव देना छोड़ दिया था तो ठोंक रहे हैं बेतूके बयान, देखो कैसे नहीं प्रसारित-प्रकाशित करोगे।
    मुझे तो लगता है, जब तक मीडिया में ऐसे बेतूके बयानों को स्थान मिलता रहेगा, बातूनी नेता जिंदा रहेंगे, कभी अमर सिंह के रूप में, कभी राज ठाकरे के रूप में तो कभी कोई और.....

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  26. पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो।

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”